क्या खोया क्या पाया
सब हैं मोह माया
हो अगर तुम्हारा साया
तो धूप में भी लगे छाया
प्यार ख़ुशी का वो हर रंग लाया
जो दिल को है भाया
मेरे इंसान की पलट गयी है काया
क्या खोया क्या पाया
प्यार अपने संग गम भी लेकर आया
कि अपनी परछाई में भी लगा कि दूजा कोई आया
मेरी ज़िन्दगी को बदहाल बनाया
क्या खोया क्या पाया
मोहब्बत छू गयी थी मेरे दिल को पार
यह एहसास हुआ था पहली बार
मदिरा का नशा भी लगा बेकार
तुझसे ही मिलता था दिल को करार
दी थी जिसे संज्ञा प्यार
धोखा था हर बार
ज़िन्दगी के हर मोड़ पर हुई तकरार
टूटा मेरा विश्वास बार-बार
फिर मदिरा ही आखिरी में ज़िन्दगी लाया
हर बूँद ने उसकी मेरा साथ निभाया
क्या खोया क्या पाया
सब हैं मोह माया
- हितेश खण्डेलवाल
Kya Khoya Kya Paya
Hitesh Khandelwal
20 comments:
riter devdas , devd he has done a marvellous attempt apart from his technical ones
shuruaat pyaaree hai... natkhat bachche likhte raho......
हे - है
हैं - है
छु - छू
मंदिरा - मदिरा
धोका - धोखा
टुटा - टूटा
विष्वास - विश्वास
बाद के शब्द शुद्ध वर्तनी में हैं। सोच/अभिव्यक्ति में तारतम्य नहीं है। लेकिन प्रथम कदम के लिए बुरा भी नहीं।
लिखते रहें। निब जितनी ही घिसती है, लिखावट उतनी ही अच्छी होती जाती है।
ढेर सारी शुभकामनाएँ।
aapka swagat hai........
ALL THE BEST
गिरिजेश राव जी क्या वर्तनी को लेकर उपहास करना उचित है ! आपने कविता के भाव पर प्रातक्रिया व्यक्त की होती तो कुछ बात थी !
हितेश जी आपने अच्छी कविता लिखी है !
आपका ब्लागजगत में स्वागत है !
आशा है अब और भी अच्छी रचनाएं
पढने को मिलेंगी !
आज की आवाज
हिंदी ब्लॉगिंग जगत में आपका स्वागत है. हमारी शुभ कामनाएं आपके साथ हैं ।
khush raho balak. narayan narayan
आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . लिखते रहिये
चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है
गार्गी
Thank you all for appreciating my efforts. My Hindi writing skills are not so good and vocabulary is also limited :(. I will try to improve it and come up with some good work. Your comments has highly encouraged me to pen down some more thoughts.
धन्यवाद्,
हितेश खण्डेलवाल
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है
Hitesh, good poem for a starter,
I hope that yr experiences and practice will make you a good writer in future.
My best wishes.
Dr.Bhoopendra
@प्रकाश गोविन्द
उपहास तो कत्तई इरादा नहीं था । चिठ्ठाकार जी ने तो मेरे सुझाए गए संशोधनों पर ऐक्सन भी ले लिया है। सुझाव उन्हों ने माँगे थे, इसलिए दे दिया ।
लिखना और निब घिसना व्यंजनात्मक अभिव्यक्ति है। कविता पर मेरी टिप्पणी नजराअंदाज कर दी !
वैसे अगर हितेश जी को दु:ख पहुँचा है तो क्षमाप्रार्थी हूँ। वर्तनी की अशुद्धियाँ सह नहीं पाता। स्वभाव दोष है। किसी के प्रति कोई बुरा इरादा नहीं है ।
उफ, 'नजराअन्दाज' नहीं नजर अन्दाज होना चाहिए। :)
@ Mr. Girijesh
Thanks for your comments. It really helped me to correct my spelling mistakes. Though I am not an experienced writer like you guys, but I feel, once you have written something, major improvisations make it worse only. Just my views :)
never knew u had this talent too, hitesh bhai!
one poem from my side...
HITESH me se s hata kar c kardo
banta hai HI-TECH
i.e apne iitk cse B-TECH
wah wah wah
^^^^
Wow, bhokali kavi ho aap toh !!
kaviraj...hitesh khandelwal ...manna padega aapko !
something chang and u look everything is different
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